Friday, December 3, 2021

विकलांगों को अनुकूल वातावरण की अत्यंत आवश्यकता


*विकलांगों को अनुकूल वातावरण की अत्यंत आवश्यकता

*विकलांगों को उनके विकास के लिए अनुकूल वातावरण की आवश्यकता  

*विकलांगता दिवस पर जन जागरूकता व्याख्यान का आयोजन

*विकलांगता- पौधे सीधे किए जा सकते हैं, पेड़ नहीं
देहरादून  (हरिशंकर सैनी)! अन्तर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस के अवसर पर संजय ऑर्थाेपीडिक, स्पाइन एवं मैटरनिटी सेंटर और सेवा सोसाइटी ने एक निशुःल्क जन जागरूकता व्याख्यान एवं प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया।
अंतर्राष्ट्रीय विकलांगता दिवस पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा विकलांग व्यक्तियों को विकलांगता के मुद्दों की समझ को बढ़ावा देने और विकलांग व्यक्तियों की गरिमा, अधिकारों और कल्याण को बढ़ाने के लिए समर्थन जुटाने के लिए मनाया जाता है।
विकलांगता शरीर या दिमाग की कोई भी स्थिति है जो व्यक्ति के लिए कुछ गतिविधियों को करने और उनके आस-पास की दुनिया के साथ बातचीत करने की स्थिति को और अधिक कठिन बना देती है। विश्व स्वाथ्य संगठन के अनुसार, विकलांगता के कई आयाम हैं, जैसे शरीर के अंग का नुकसान, चलने-फिरने में परेशानी और किसी भी प्रकार के सामाजिक भागीदारी में रूकावट। 
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार के विश्व के 15 प्रतिशत लोग जबकि भारत सरकार की 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की 2 प्रतिशत से ज्यादा आबादी विकलांगता से जूझ रही है।
डॉ. गौरव संजय ने बताया कि बचपन में पोलियो, सेरेब्रल पाल्सी (सीपी) और क्लब फुट भारत में विकलांगता के मुख्य कारण हैं। भारत 27 मार्च 2014 से पोलियो मुक्त है। यानी उसके बाद से पोलियो के कोई नए मामले सामने नहीं आ रहे हैं लेकिन पोलियो के लाखों पुराने मामले हैं जो रोगियों और राष्ट्र के लिए बड़ी सामाजिक और अन्य समस्याएं पैदा कर रहे हैं।
डॉ. संजय ने यह भी कहा कि हमारे देश में सड़क यातायात दुर्घटनाएं महामारी बन गई हैं, जिससे तबाही मची हुई है और समाज में विकलांगता पैदा हो रही है। लगभग पांच लाख लोग सड़क यातायात दुर्घटनाओं से प्रभावित हो रहे हैं जिनमें एक चौथाई से अधिक लोग मर रहे हैं और हमारे देश के वर्तमान परिदृश्य में सर्वाेत्तम उपलब्ध उपचार के बावजूद कम से कम एक चौथाई लोग अपने पूरे जीवन के लिए विकलांग हो रहे हैं।
व्याख्यान के दौरान  इस बात पर जोर दिया गया कि विकलांग लोगों की आवश्यकता भी वही होती है जो एक सक्षम व्यक्ति की होती हैं। हम सभी के लिए एक अनुकूल वातावरण की आवश्यकता होती है लेकिन विकलांग लोगों को और भी ज्यादा। मैं निम्नलिखित कुछ उदाहरण को उद्धृत करना चाहूंगा जिनको अनुकूल परिस्थियां मिलने के कारण ही उनका काम प्रेरणादायक एवं अनुकरणीय रहा है जैसे होमर, सूरदास, अष्टवक्र और आधुनिक इतिहास में हेलेन केलर, स्टीफन हॉकिंग, सुधा चंद्रन, रविंद्र जैन, अरुणिमा सिन्हा, सत्येंद्र सिंह आदि।
डॉ. संजय ने कहा कि विकलांगता जितने ज्यादा समय रहती है उसका प्रभाव आनुपातिक रूप से बढ़ता रहता है। सरकारी, गैर-सरकारी संगठनों और समाज को किसी भी प्रकार की विकलांगता को रोकने का प्रयास करना चाहिए। किसी भी कारण से हुई विकृति और विकलांगता को जल्द से जल्द ठीक किया जाना चाहिए। इसलिए हम लोग हमेशा रोगी को विकृति और रोगी के परिवार के सदस्यों को सलाह देते हैं कि यदि सर्जरी की आवश्यकता है, तो इसे जल्द से जल्द किया जाना चाहिए क्योंकि पौधे सीधे किए जा सकते हैं, पेड़ नहीं।

Thursday, December 2, 2021

कपिलेश्वर महादेव मन्दिर श्रद्धा व विश्वास का संगम*

*कपिलेश्वर महादेव मन्दिर श्रद्धा व विश्वास का संगम* 💥💥💥💥💥💥💥💥///                                         . @                                                      *🌹रमाकान्त पन्त🌹*                         *🌹देवात्मा हिमालय की गोद में स्थित कुमाऊँ मण्डल के जनपद अल्मोड़ा में स्थित कपिलेश्वर महादेव जी का पौराणिक मन्दिर प्राचीन काल से परम पूजनीय है। दया,करुणा,व कल्याण के धाम के रुप में पूजित महादेव जी का यह पावन स्थान श्रद्धा व विश्वास का अलौकिक संगम है।मान्यता है, कि कपिलेश्वर के रुप में महादेव जी का पूजन करनें से मनुष्य शिवजी की विशेष कृपा को प्राप्त करता है*                      *🌹इनकी स्तुति का सार प्रकट करते हुए कहा गया है कपिलेश्वर महादेव! आपको नमस्कार है। परमेश्वर! आपको नमस्कार है। ब्रह्मरूपी देव को नमस्कार है। महेश! आपको नमस्कार है। शान्तिके मूल हेतु! आपको नमस्कार है। प्रधान पुरुषेश! आपको नमस्कार है तथा योगाधिपति आपको नमस्कार है।  हाथमें पिनाक नामक धनुष धारण करनेवाले आपको नमस्कार है। तीन नेत्रवाले आपको बारम्बार नमस्कार है।   योगियोंके गुरुको नमस्कार है।*                                        *🌹शिव भक्त कत्यूरी वंश के शासकों द्वारा निर्मित यह मन्दिर अपनें आप में अलौकिक है,सुन्दर पर्वतमालाओं के सानिध्य में विराजमान भगवान शिव की यह भूमि तीर्थाटन की दृष्टि महत्वपूर्ण स्थान है।*                                       *🌹 मंदिर के आस्थावान भक्त गोपाल सिह खत्री बताते हैं मंदिर का सौदर्य अनायास ही भक्तों को अपनी ओर खींच लेता है, देवदार के वृक्षों के साथ-साथ भांति-भांति प्रकार के वृक्ष,पुष्प लताएं यहां के सौदर्य को विराट वैभव प्रदान करती है,कल-कल धुन में नृत्य करती नदियाँ कपिलेश्वर को नतमस्तक करते हुए आगे बढ़ती है।*  *🌹सकुनी नदी व कुमियां नदी के मध्य में स्थित यह मन्दिर शिव भक्तों के लिए भगवान शिव की ओर से अनुपम भेंट है,यहाँ स्वंयभू रुप में प्रकट शिव पिण्डी की यहाँ पूजा होती है,कुछ भक्त भगवान शिव के कपाल तो कुछ कपिलमुनि के ईश्वर के रुप में इनका स्मरण, पूजन,वंदन करते है। दो महाप्रतापी नागों की गाथा भी  इस मंदिर से जुड़ी हुई है।*                                   *🌹कपिलेश्वर के नाम से अनेकों पौराणिक मन्दिर देश के अनेक भागों में मौजूद है,उत्तराखण्ड में भी कपिलेश्वर महादेव के रुप में भगवान शंकर अनेकों स्थानों पर पूजित है।स्कंद पुराण के मानस खण्ड़ में कपिलेश्वर महादेव का सुन्दर वर्णन आता है।ब्यास जी जिज्ञाशु ऋषिगणों के समूह को गूढ़ रहस्य बतलाते हुए कहते है, कि योगमार्ग के प्रदर्शक एंव आदि नागों से सेवित कपिलेश्वर उत्तम क्षेंत्र है'               *🌹तमेव योगमार्गस्य दर्शकों ज्ञायत द्विजा राजते यत्र देवेश: कपिलेश महेश्वरों*   *🌹कपिलक्षेत्र नन्दी, स्कन्दी,गणेश तथा सोलह मातृकाओं से सेवित होते हुए घोर पापों का विनाशक क्षेंत्र है,इस तीर्थ के दर्शन करनें से समस्त पापों का हरण हो जाता है।साधकों की साधना को सफल बनानें वाले कपिलेश्वर महादेव योग के भी परम शिक्षक कहे गये है।इनकी आराधना से उत्तम सिद्धि की प्राप्ति होती है।कपिलेश्वर महात्म्य में कहा गया है, कि कपिल मुनि ने नागों के राजा वासुकी को कपिलेश्वर का महात्म्य बताते हुए कहा यहाँ की महिमां अद्धितीय व अतुलनीय है,मुनि के वचनों से प्रभावित होकर नागराजाओं व नागों ने इसे अपनी तपोभूमि बनाया*                               *🌹इति कपिलमुनें वर्चनमवाप्य  नागा हृदयकलुषनाशं  प्राप्य देवं भजन्ते* *🌹कपिलेश्वर मन्दिर के बारे में जनमानस एक कथा काफी प्रसिद्व है,कहा जाता है, कि नागों की इस तपोभूमि में एक बार दो नागों में यह प्रतिस्पर्धा हो गयी कि एक दूसरे मन्दिरों को जो नियत समय में जल्दी तोड़ेगा वह विजयश्री होगा शर्त के मुताबिक  मौना के मंदिर और कपिलेश्वर के मंदिर में दो नाग की इस प्रतिस्पर्दा  में शर्त लगी कि एक-दूसरे के मंदिरों को कौन जल्दी तोड़ता है इसमें  कपिलेश्वर के नाग राजा विजयी हुए*                                                        *🌹चन्द्रशेखर, विभूतिभूषण,तिनेत्र कैलाशी,अविनाशी,कपालमालाधारी,शंकर को कोटिशः प्रणाम करते हुए कपिलमुनि कहते है शंकरप्रिया कपीला देवी की भी यह वासभूमि है मन्दिर के समीपस्थ बहनें वाली नदी के किनारे के पत्थरों पर नागों की आकृतियां भी दिखती है*   *🌹अल्मोड़ा जनपद मुख्यालय से लगभग 35 किमी. दूरी पर स्थित क्वारब से मौना-सरगाखेत जाने वाले मार्ग पर लगभग साढ़े तीन किलोमीटर की दूरी पर सैज गाँव पहुंचकर आप कपिलेश्वर महादेव के दर्शन किये जा सकते है।*               *🌹मुनीनामप्यहं व्यासो गणानां च विनायकः । वीराणां वीरभद्रोऽहं सिद्धानां कपिलो मुनिः*