वर्ल्ड टाॅयलेट दिवस
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि विगत कुछ वर्षों में भारत में स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अद्भुत कार्य हुआ है। भारत ने खुले में शौच प्रथा को समाप्त करने के लिये व्यापक स्तर पर कार्य किया है और इससे अनेक लोगों के जीवन स्तर में सुधार आया। स्वच्छता के स्तर को बनाये रखने तथा सभी समुदायों की स्वच्छ और पूर्ण स्वच्छता प्रणाली युक्त सुरक्षित शौचालयों तक पहुँच बनाये रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। शौचालय केवल एक शौचालय ही नहीं है बल्कि वह एक जीवन रक्षक प्रणाली भी है, हमारी माताओं, बहनों और बेटियों की गरिमा और सुरक्षा को बनाये रखने का एक माध्यम भी है।
स्वामी जी ने कहा कि शौचालय का उपयोग करने का मतलब सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा से है अतः प्रत्येक व्यक्ति की पहुंच शौचालय तक हो, इसके लिये लोगों को भी अपनी आदत और सोच में परिवर्तन करना होगा। उन्होने कहा कि 21 वीं सदी में भी भारत में कुछ स्थानों पर मैनुअल स्कैवेंजर्स है। मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा को बनाये रखना मेरी दृष्टि में सामाजिक न्याय का उल्लघंन है। हम सब मिलकर प्रयास करे ंतो मैनुअल स्कैवेंजर्स के साथ वर्षो से हो रहे अन्याय और शोषण से उन्हें बचा जा सकता है। इस प्रथा को समाप्त करने के लिये समाज के प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना होगा, उनके दर्द को महसूस करना होगा, उन्हें बेहतर आजीविका के साधन प्रदान करना होगा तथा समाज में सम्मान व उचित स्थान देने हेतु प्रयत्न करना होगा। जिस दिन भारत से मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा समाप्त हो जायेगी उस दिन सही मायने में सामाजिक न्याय स्थापित होगा।
जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने आज विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर कहा कि हमें स्वच्छता के महत्व को नहीं भूलना चाहिये। स्वच्छ जल के साथ महिलाओं की सुरक्षा जुड़ी हुयी है। साथ ही शौचालयों की कमी भी एक गंभीर समस्या है। महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा का एक प्रमुख कारण यह भी है कि उन्हें रात के अन्धेरे में सुनसान जगह पर शौच के लिये जाना पडता है इस कारण उन्हें कई बार खतरों का सामना भी करना पड़ता है। महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा और गरिमा दोनों को सुनिश्चित करने के लिये हर व्यक्ति की पहुंच शौचालय तक होनी चाहिये। इसके लिये अब महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे।
स्वामी जी ने कहा कि सतत विकास लक्ष्य 6 का लक्ष्य खुले में शौच को खत्म करना है और यह सुनिश्चित करना है कि 2030 तक टिकाऊ स्वच्छता सेवाओं तक सभी की पहुंच हो। वर्तमान समय में भी दुनिया के4.2 बिलियन लोगों को स्वच्छता की बुनियादी सुविधायें और शौचालय की सुविधायें उपलब्ध नहीं हैं, इसलिये हम सभी को मिलकर प्रयास करना है कि कोई भी पीछे न छूट जाये क्योंकि स्वच्छ जल, शौचालय और शुद्ध वायु पर सभी का अधिकार है। आईये मिलकर संकल्प करें कि एक स्वच्छ और सुन्दर राष्ट्र के निर्माण हेतु योगदान प्रदान करेंगे तथा लोगों को शौचालय के उपयोग करने हेतु जागरूक करेंगे।
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