अनुकरणीय!-- 'शिक्षक दिनेश राणा' नें कोरोना काल को अवसर में बदलकर बेजोड हस्तशिल्प कला से तैयार किये रिंगाल के उत्पाद..
ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!
जीवन में सबसे बड़ी ख़ुशी उस काम को करने में है, जिसे लोग कहते हैं तुम नहीं कर सकते। अगर सही दिशा में प्रयास किये जाये तो जरूर सफलता मिलती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है शिक्षक दिनेश राणा नें जिन्होंने कोरोना काल का सदुपयोग करते हुए इसको अवसर में बदला और बेजोड़ हस्तशिल्प कला से अपने घर के लिए रिंगाल के विभिन्न उत्पादों को तैयार किया है।
इन उत्पादों को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो रहा है। प्रतिभा के धनी दिनेश राणा नें कोरोना काल में छात्र छात्राओं को न केवल ऑनलाइन पढ़ाई कराई, अपितु बेबीनार के माध्यम से विभिन्न विषयों पर छात्रों को ऑनलाइन महत्वपूर्ण टिप्स भी दिये। दिनेश राणा को शिक्षा के लिए विभिन्न अवसरों पर दर्जनो पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है।
गौरतलब है कि शिक्षक दिनेश राणा वर्तमान में रूद्रप्रयाग जनपद के ऊखीमठ ब्लाॅक के आदर्श प्राथमिक विद्यालय खुमेरा में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। गुणवत्ता परक शिक्षा से लेकर रचनात्मक गतिविधियों, विषय को सरल व रोचक बनाने, नवाचार, सांस्कृतिक गतिविधियों, वैज्ञानिक पद्धतियों का कैसे उपयोग किया जाता है दिनेश राणा जी से सीखा जा सकता है। दिनेश राणा का नाम प्रदेश के उन बेहतरीन शिक्षकों में लिया जाता है जिन्होंने अपने निजी प्रयासों से विद्यालयों को बेहद अल्प समय में ही सूबे में अग्रणी विद्यालयों में शामिल कराया है। आज खुमेरा विद्यालय लोगो के लिए शिक्षा का एक बेहतरीन माॅडल है। हर कोई इस विद्यालय और यहाँ तैनात शिक्षक/ शिक्षिकाओं की भूरी भूरी प्रशंसा करते हैं। दिनेश राणा आदर्श प्राथमिक विद्यालय खुमेरा से पहले कालीमठ घाटी के जाल तल्ला गांव में कार्यरत थें, जहां इनके भगीरथ प्रयासों ने विद्यालय को सूबे के नामी गिरामी विद्यालयों की तुलना में मीलों आगे खडा किया था और ये विद्यालय उन्हें हर विधा में कड़ी टक्कर देता हुआ नजर आता था। शिक्षण गतिविधियों से लेकर खेलकूद, भाषण प्रतियोगिता, लेखन, कला, सांस्कृतिक गतिविधियाँ, हर विधा में यहाँ के छात्र छात्राये परांगत थे।
वास्तव में देखा जाए तो दिनेश राणा जी जैसे शिक्षक से हमें प्रेरणा लेने की आवश्यकता है। कोई भी कार्य छोटा बडा नहीं होता है, सोच बडी होनी चाहिए। भले ही आपको इनका प्रयास छोटा लगता हो परंतु यदि ऐसे छोटे छोटे प्रयासों से हमारी जरूरतमंद चीजों की पूर्ति हो जाती है तो हमें इससे न केवल आर्थिक फायदा होगा साथ में हमारी कला भी जीवित रहेगी। कोरोना काल को अवसर में बदलने वाले शिक्षक दिनेश राणा जी को रिंगाल के उत्पादों को तैयार करनें के लिए ढेरों बधाइयाँ।
Dinesh Rana
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