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Saturday, November 28, 2020
Saturday, November 21, 2020
बच्चों को बेहतर भविष्य देने हेतु मिलकर कदम बढ़ाये- स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी
विश्व भर में बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता और सुरक्षा के लिये प्रत्येक वर्ष 20 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस मनाया जाता है। प्रत्येक बच्चे को सुरक्षित तथा न्यायपूर्ण वातावरण उपलब्ध कराना समाज के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है। बच्चों को ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, उचित पोषण, स्वच्छ और शुद्ध वातावरण, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ उनका सर्वांगीण विकास करना नितांत आवश्यक है। समाज को बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता करने तथा उनके कल्याण के लिये अन्तर्राष्ट्रीय एकजुटता हेतु बाल दिवस मनाया जाता है।
स्वामी जी ने दुनिया भर के बच्चों का आह्वान करते हुये कहा कि आज की पीढ़ी को अपनी शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ-साथ प्रकृति और पर्यावरण के विषय में भी जागरूक रहना होगा। बच्चों का भौतिक विकास के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास भी अति आवश्यक है। उन्हें पाठ्यक्रम के साथ पर्यावरण और जीवन मूल्यों का ज्ञान करना भी बहुत जरूरी है।
स्वामी जी ने कहा कि बच्चों के प्रति कई बार समाज का अमानवीय चेहरा देखने को मिलता है। छोटे-छोटे बच्चों के साथ हो रहे हिंसात्मक व्यवहार के बारे में बच्चों को जागरूक कराना जरूरी है। जिन बच्चों के परिवार नहीं है, उन नन्हें-नन्हें बच्चों को बचपन से ही अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मेरा मानना है है जो परिवार सक्षम है उन्हें ऐसे बच्चों को गोद लेने हेतु आगे आना चाहिये, साथ ही उनके बेहतर स्वस्थ, शिक्षा और सुरक्षित भविष्य को भी सुनिश्चित करना होगा ताकि उन बच्चों का जीवन और भविष्य दोनों को बदला जा सके।
स्वामी जी ने कहा कि आज अन्तर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर हम सभी को दिव्यांग बच्चों के जीवन में आने वाली परेशानियों के विषय में भी जागरूक होना होगा। दिव्यांग बच्चें भी हमारे समाज का हिस्सा है, वे भी सामान्य बच्चों की तरह आगे बढ़ना चाहते हंै, उन्हें भी वही सम्मान और अधिकार मिलना चाहिये। उन्हें अपने जीवन में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है इसलिये ऐसे बच्चों को सामाजिक सुरक्षा के साथ अतिरिक्त सहायता की भी जरूरत पड़ती है। अगर हमारा समाज और युवा पीढ़ी इन बातों के प्रति जागरूक हो जाये तो दिव्यांग बच्चों के जीवन में आने वाली कई समस्याओं को कम किया जा सकता है। आईये अन्तर्राष्ट्रीय बाल दिवस के अवसर पर बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिये संकल्प लें और अपना योगदान प्रदान करें।
Thursday, November 19, 2020
जिस दिन भारत से मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा समाप्त हो जायेगी उस दिन सही मायने में सामाजिक न्याय स्थापित होगा:स्वामी चिदानन्द सरस्वती
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि विगत कुछ वर्षों में भारत में स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में अद्भुत कार्य हुआ है। भारत ने खुले में शौच प्रथा को समाप्त करने के लिये व्यापक स्तर पर कार्य किया है और इससे अनेक लोगों के जीवन स्तर में सुधार आया। स्वच्छता के स्तर को बनाये रखने तथा सभी समुदायों की स्वच्छ और पूर्ण स्वच्छता प्रणाली युक्त सुरक्षित शौचालयों तक पहुँच बनाये रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। शौचालय केवल एक शौचालय ही नहीं है बल्कि वह एक जीवन रक्षक प्रणाली भी है, हमारी माताओं, बहनों और बेटियों की गरिमा और सुरक्षा को बनाये रखने का एक माध्यम भी है।
स्वामी जी ने कहा कि शौचालय का उपयोग करने का मतलब सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा से है अतः प्रत्येक व्यक्ति की पहुंच शौचालय तक हो, इसके लिये लोगों को भी अपनी आदत और सोच में परिवर्तन करना होगा। उन्होने कहा कि 21 वीं सदी में भी भारत में कुछ स्थानों पर मैनुअल स्कैवेंजर्स है। मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा को बनाये रखना मेरी दृष्टि में सामाजिक न्याय का उल्लघंन है। हम सब मिलकर प्रयास करे ंतो मैनुअल स्कैवेंजर्स के साथ वर्षो से हो रहे अन्याय और शोषण से उन्हें बचा जा सकता है। इस प्रथा को समाप्त करने के लिये समाज के प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना होगा, उनके दर्द को महसूस करना होगा, उन्हें बेहतर आजीविका के साधन प्रदान करना होगा तथा समाज में सम्मान व उचित स्थान देने हेतु प्रयत्न करना होगा। जिस दिन भारत से मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा समाप्त हो जायेगी उस दिन सही मायने में सामाजिक न्याय स्थापित होगा।
जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती जी ने आज विश्व शौचालय दिवस के अवसर पर कहा कि हमें स्वच्छता के महत्व को नहीं भूलना चाहिये। स्वच्छ जल के साथ महिलाओं की सुरक्षा जुड़ी हुयी है। साथ ही शौचालयों की कमी भी एक गंभीर समस्या है। महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा का एक प्रमुख कारण यह भी है कि उन्हें रात के अन्धेरे में सुनसान जगह पर शौच के लिये जाना पडता है इस कारण उन्हें कई बार खतरों का सामना भी करना पड़ता है। महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा और गरिमा दोनों को सुनिश्चित करने के लिये हर व्यक्ति की पहुंच शौचालय तक होनी चाहिये। इसके लिये अब महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे।
स्वामी जी ने कहा कि सतत विकास लक्ष्य 6 का लक्ष्य खुले में शौच को खत्म करना है और यह सुनिश्चित करना है कि 2030 तक टिकाऊ स्वच्छता सेवाओं तक सभी की पहुंच हो। वर्तमान समय में भी दुनिया के4.2 बिलियन लोगों को स्वच्छता की बुनियादी सुविधायें और शौचालय की सुविधायें उपलब्ध नहीं हैं, इसलिये हम सभी को मिलकर प्रयास करना है कि कोई भी पीछे न छूट जाये क्योंकि स्वच्छ जल, शौचालय और शुद्ध वायु पर सभी का अधिकार है। आईये मिलकर संकल्प करें कि एक स्वच्छ और सुन्दर राष्ट्र के निर्माण हेतु योगदान प्रदान करेंगे तथा लोगों को शौचालय के उपयोग करने हेतु जागरूक करेंगे।
छवानी परिषद कार्यालय में मुख्य अधिशासी अधिकारी तनु जैन द्वारा छवानी गढ़ी, डाकरा, टपकेश्वर क्षेत्र की जनता द्वारा आयी आपत्तियों की जन सुनवाई की
Thursday, November 12, 2020
निमोनिया छोटे बच्चों के जीवन का सबसे बड़ा दुश्मन :स्वामी चिदानन्द सरस्वती
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष की रिपोर्ट के अनुसार भारत में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की कुल मृत्यु में से 14 प्रतिशत मृत्यु का कारण निमोनिया होता है। निमोनिया के कारण वर्तमान मृत्यु दर प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर पाँच है और इसे वर्ष 2025 तक तीन से कम करने का लक्ष्य रखा गया है। निमोनिया बच्चों के लिये सबसे बड़ा खतरा है। वैश्विक स्तर पर यह 1,53,000 से अधिक नवजात शिशुओं सहित हर वर्ष पाँच वर्ष से कम उम्र के 8,00,000 से अधिक संक्रमित बच्चों के जीवन को प्रभावित करता है। हर 39 सेकंड में एक बच्चा निमोनिया के कारण मौत हो जाती है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि कोरोना ने हमें बता दिया और दिखा दिया कि अब जागने की बारी है। हम सभी कितने दिनों तक घरों में बंद रह सकते हैं और मास्क पहन सकते हंै इससे लोगों का जीवन तनाव पूर्ण हो रहा है, अतः यह एक सम्भलने का अवसर है। अब नहीं सम्भलें तो फिर बहुत देर हो जायेगी क्योंकि अभी नहीं, तो कभी नहीं इसलिये जीवन जितना नैसर्गिक और नैचुरल बना सकते हैं उतना ही बेहतर है। हमारे चारों ओर प्रदूषण बढ़ रहा है उसमें भी वायु प्रदूषण तो सबसे बड़ा प्रदूषण है और स्वास्थ्य के लिये सबसे बड़ा खतरा भी है। यह न केवल फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है बल्कि मस्तिष्क को भी नुकसान पहंचाता है इसलिये वायु की गुणवत्ता में सुधार लाकर प्रकृति के अनुसार जीना बहुत जरूरी है।
स्वामी जी ने कहा कि हम सभी जानते है कि श्वास चल रही हंै तो जीवन है और श्वास के लिये आॅक्सीजन की जरूरत है। आॅक्सीजन को बनाया तो नहीं जा सकता परन्तु प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है; शुद्ध रखा जा सकता है इसलिये आईये संकल्प लें कि अपने और अपने बच्चों के जीवन की रक्षा के लिये वृक्षारोपण अवश्य करेंगे।
Friday, November 6, 2020
एक व्यक्ति के रक्त से बचती है कई लोगों की जिन्दगी: विधायक जोशी
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत एवं मसूरी विधायक गणेश जोशी ने देहरादून के कण्डोली में मोदी वाटिका में लगाए गए 70 पौंधे
भारतीय जनता युवा मोर्चा के देहरादून महानगर अध्यक्ष पद पर अंशुल चावला की ताजपोशी के बाद मसूरी विधायक गणेश जोशी ने उन्हें बधाई दी।
ग्राम छिरारी उद्यानिकी के नवाचार की ओर अग्रसर "सफलता की कहानी"
ग्राम छिरारी उद्यानिकी के नवाचार की ओर अग्रसर "सफलता की कहानी"
-विदिशा | लटेरी विकासखण्ड का ग्राम छिरारी उद्यानिकी फसलीय नवाचार की ओर अग्रसर है। यहां के कृषकों द्वारा पहले हल्दी, धनिया, मिर्च, टमाटर इत्यादि उद्यानिकी फसलों का उत्पादन लेकर आमदनी में वृद्वि की है।
ग्राम के प्रगतिशील कृषक अनिल मेहता ने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के द्वारा दिए गए मार्गदर्शन से प्रेरित होते हुए अब केले की फसल लेने के प्रबंध सुनिश्चित किए है कृषक श्री मेहता ने बताया कि उन्होंने 0.400 हेक्टेयर रकवा में केले के एक हजार सात सौ पचास पौधे रोपित किए है। टेशू कल्चर कुरवाई में तैयार हुए पौधे जिले के कृषकों द्वारा उद्यानिकी योजनाओं के तहत क्रय किए जा रहे है। विभाग के सहायक संचालक केएल व्यास ने बताया कि शुरू में केला एक वर्ष में फसल देने लगता है। इसके बाद आगामी वर्षो में बिना खर्चे के छह-छह माह में केले की फसल मिलने लगती है। जिले के कृषकों को काजू और बादाम की फसल लेने के लिए भी अभिप्रेरित किया जा रहा है।
लोक सेवा केंद्र से मिलेगा आयुष्मान भारत का कार्ड
लोक सेवा केंद्र से मिलेगा आयुष्मान भारत का कार्ड
-विदिशा | आयुष्मान भारत योजना की हितग्राही अब अपना आयुष्मान भारत लाभार्थी कार्ड लोक सेवा केंद्र के माध्यम से प्राप्त कर सकेंगे ।शीघ्र ही यह योजना जिले के सभी लोक सेवा केंद्रों में आरंभ हो रही है। इसके लिए शासन से ₹30 शुल्क निर्धारित किया गया है। इसके लिए सभी लोक सेवा केंद्रों के आधार ऑपरेटरों के यूजर आईडी बनाए जा रहे हैं। इस योजना द्वारा गरीब और कमजोर परिवारों को निशुल्क इलाज की सुविधा मिलेगी. आयुष्मान भारत योजना भारत सरकार द्वारा शुरू की गई हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम है। जिसके तहत गरीब लोगों को प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये तक के इलाज के लिए कैशलेश कवरेज प्रदान किया जाता है.इस योजना के द्वारा लाभार्थी सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के अस्पतालों में इलाज की सुविधा प्राप्त कर सकता है।
इस योजना के तहत गर्भावस्था देखभाल और मातृ स्वास्थ्य सेवाएं, नवजात और शिशु स्वास्थ्य सेवाएं, बाल स्वास्थ्य, जीर्ण संक्रामक रोग, गैर संक्रामक रोग, मानसिक बीमारी का प्रबंधन, दांतों की देखभाल, बुजुर्ग के लिए आपातकालीन चिकित्सा जैसी स्वास्थ्य सेवाओं को शामिल किया गया है।
आयुष्मान भारत योजना की सबसे बड़ी विशेषता में शामिल होने के लिए परिवार के आकार और उम्र का कोई बंधन नहीं है. सरकारी अस्पताल और पैनल में शामिल अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थियों का कैशलेस और पेपरलेस इलाज किया जाएगा।
आयुष्मान भारत योजना में शामिल होने के लिए,
ग्रामीण इलाकों में-
1. मोटे तौर पर ग्रामीण इलाके में कच्चा मकान होना चाहिए
2. परिवार में किसी व्यस्क (16-59 साल) का नहीं होना, परिवार की मुखिया महिला हो.
3. परिवार में कोई दिव्यांग हो.
4. अनुसूचित जाति और जनजाति से हों.
5. भूमिहीन व्यक्ति व दिहाड़ी मजदूर हों.
6. इसके अलावा, ग्रामीण इलाके के बेघर व्यक्ति.
7. निराश्रित, दान या भीख मांगने वाले.
8. आदिवासी और कानूनी रूप से मुक्त बंधुआ.
शहरी इलाकों में
1. भिखारी, कूड़ा बीनने वाले, घरेलू कामकाज करने वाले.
2. रेहड़ी-पटरी दुकानदार, मोची, फेरी वाले.
3. सड़क पर कामकाज करने वाले अन्य व्यक्ति.
4. कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाले मजदूर.
5. प्लंबर, राजमिस्त्री, मजदूर, पेंटर, वेल्डर,
6. सिक्योरिटी गार्ड, कुली और भार ढोने वाले अन्य कामकाजी व्यक्ति.
7. स्वीपर, सफाई कर्मी, घरेलू काम करने वाले.
8. हैंडीक्राफ्ट का काम करने वाले लोग, टेलर, ड्राइवर, रिक्शा चालक, दुकान पर काम करने वाले लोग।
धनिया से हुई आमदनी में वृद्धि
धनिया से हुई आमदनी में वृद्धि (सफलता की कहानी)
-विदिशा | उद्यानिकी विभाग की मसाला क्षेत्र विस्तार योजना के अंतर्गत कृषक श्री जहीर खां ने धनिया की खेती प्रारंभ की जिससे एक वर्ष में पचास हजार रूपए का अतिरिक्त मुनाफा हुआ है।
कुरवाई विकासखण्ड के ग्राम मेहलुआ के कृषक श्री जहीर खां ने बताया कि उद्यानिकी फसलों से ग्राम के अन्य कृषकों द्वारा लाभ लिया जा रहा था। जिससे मैं अभिप्रेरित हुआ हूं। उद्यानिकी फसलों से उनको होने वाले मुनाफे ने मुझे उद्यानिकी फसलों की ओर ध्यान आकर्षित कराया है मैंने उद्यानिकी विभाग में सम्पर्क किया जहां मुझे मसाला क्षेत्र विस्तार योजना के अंतर्गत धनिया की खेती करने का रूझान बढा और मैंने एक हेक्टेयर में धनिया किस्म आरसीआर 435 को लगाया। धनिया की खुशबू की महक चहुंओर फैल रही थी जिससे मुख्य सड़क से निकलने वाले राहगीर रूककर खेत को देखते थे। एक वर्ष में ही मुझे पचास हजार का शुद्व मुनाफा हुआ है जबकि लागत 18 हजार 370 रूपए आई थी। किसानो की आमदनी दुगनी कैसे हो यह मैंने जाना उद्यानिकी फसलों से।
अदरक फसल में लागत का कई गुना मुनाफा "सफलता की कहानी"-
अदरक फसल में लागत का कई गुना मुनाफा "सफलता की कहानी"-
विदिशा | उद्यानिकी फसलों की ओर किसानो का रूझान बढ़ रहा है। अब जिले के विभिन्न क्षेत्रों में उद्यानिकी फसलों को सुगमता से आवागमन के दौरान देखा जा सकता है। लटेरी विकासखण्ड के ग्राम शहरखेडा के कृषक श्री मुन्नीलाल धाकड़ ने 0.250 रकवे में अदरक की फसल ली है। जिसमें पांच कि्ंवटल बीज 35 हजार रूपए का, जून माह के प्रथम सप्ताह में रोपण किया गया था अदरक की फसल में खाद, दवा एवं खेत की तैयारी में कुल सात हजार रूपए और खर्च हुए थे इस प्रकार कृषक मुन्नीलाल धाकड़ ने कुल 42 हजार की लागत से अदरक की खेती की है। खेत में खड़ी फसल की व्यापारियों द्वारा एक लाख बीस हजार की कीमत लगा चुके है। कृषक मुन्नीलाल का कहना है कि इतनी कीमत में मैं अपनी अदरक की फसल को बेचूंगा। वर्तमान में फसल का आंकलन व्यापारियों द्वारा लगाई गई कीमत से अधिक हो रहा है अतः थोडा और इंतजार करूंगा नही तो बाजार में स्वंय जाकर बेचूंगा।
कृषक मुन्नीलाल धाकड़ का कहना है कि उद्यानिकी फसलों से ऐसी आमदनी होगी मुझे कल्पना नही थी मैं अपने अन्य कृषक भाईयों से भी अपील करूंगा की वे कम से कम आधा हेक्टेयर में उद्यानिकी फसल जरूर ले जो हमारी आर्थिक स्थिति में वृद्वि की सहायक होंगी।
स्व-सहायता समूह के लिए गौशालाएं बनी आमदनी का जरिया
गौ शालाएं होंगी समूह के लिए वरदान साबित (सफलता की कहानी)
सीहोर |शासन द्वारा निर्मित गौशालायें संचालन का कार्य आजीविका मिशन के स्व-सहायता समूहों/ग्राम संगठनों को दिया गया है। स्व-सहायता समूह की दीदियों द्वारा गौशालाओं को आमदनी का जरिया बना लिया है। इन गौशालाओं में पंच गव्य से निर्मित बहुत ही सुंदर आकर्षक दीपक, लक्ष्मी नारायण की मूर्ति, शुभ लाभ, लक्ष्मी चरण, शुभ लाभ, स्वास्तिक, आसन आदि सामग्री बनाई जा रही है। इस दीपावली पर एक गिफ्ट पैक तैयार किया गया है जिसमें पूजन सामग्री, हवन सामग्री, पंच गव्य से बने दीपक, लक्ष्मी गणेश मूर्ति, शुभ लाभ, स्वास्तिक, व गोबर के कंडे, जैसी कुल 26 सामग्री गिफ्ट पैक में रहेगी।
जिला परियोजना प्रबन्धक आजीविका मिशन द्वारा बताया गया कि प्रदेश में पहला मौका होगा ग्रामीण गरीब परिवारों के समूह की महिलाओं द्वारा दीपावली के त्यौहार में बेचने हेतु गिफ्ट पैक तैयार किया गया है। गिफ्ट पैक की कीमत बाजार में ₹399 में आजीविका रूरल मार्ट लुनिया चौराहा सीहोर और भोपाल व ऑनलाइन बुकिंग से प्राप्त की जा सकेगी। अभी तक 75 हजार के आर्डर मिल चुके हैं।
लेकिन एक वक्त पर हमारी ही थाली से अनाज गायब हो गया था, मुख्यमंत्री ने हमारी थाली फिर से अनाज से भर दी
हम दूसरों की थाली में सब्जी पहुंचाते हैं (खुशियों की दास्तां)
उज्जैन | शहर के मालीपुरा में रहने वाले 41 वर्षीय इन्द्रेश बारोठ और उनके छोटे भाई काफी समय से सब्जी बेचने का व्यवसाय करते हैं। उनके परिवार में उन्हें मिलाकर कुल नौ सदस्य हैं। इतने बड़े परिवार को चलाने के लिये इन्द्रेश और उनके भाई दिन-रात मेहनत करते हुए अपना व्यवसाय चलाते थे, लेकिन इन्द्रेश और उनके परिवार ने यह कभी नहीं सोचा था कि दूसरों की थाली में सब्जी पहुंचाने वाले उनके परिवार की थाली से ही एक दिन राशन दूर हो जायेगा।
वैश्विक महामारी कोविड-19 जैसे-जैसे पैर पसार रही थी, वैसे-वैसे इन्द्रेश के व्यवसाय में मंदी भी पैर पसारने लगी। कोरोना के चलते लॉकडाउन के कारण इन्द्रेश को सब्जी के व्यवसाय में काफी नुकसान हो गया था। एक समय पर अच्छा चलने वाला उनका व्यवसाय मानों थम-सा गया था। जैसे-जैसे लॉकडाउन की अवधि बढ़ती जा रही थी, इन्द्रेश के घर में राशन का स्टॉक समाप्त होता जा रहा था। व्यवसाय ठप पड़ने की वजह से हुए आर्थिक नुकसान के कारण बाजार से महंगे दाम में राशन खरीदना उनके लिये मुश्किल होता जा रहा था।
धीरे-धीरे जब अनलॉक की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई, तो भी इन्द्रेश के लिये परिस्थितियां पहले जैसी नहीं थी। इन्द्रेश को व्यवसाय में जो नुकसान हुआ था, उसकी भरपाई कर पाना तो दूर, व्यवसाय भी अब पहले जैसा नहीं चल रहा था। ऐसे में मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना की बदौलत इन्द्रेश और उनके परिवार की थाली में फिर से अनाज आना प्रारम्भ हो गया है। योजना अनुसार इन्द्रेश के परिवार के प्रति सदस्य को पांच-पांच किलो गेहूं व चावल, एक किलो नमक तथा डेढ़ लीटर केरोसीन मुहैया कराया जा रहा है। इससे इन्द्रेश और उसके परिवार को मुश्किल घड़ी में काफी संबल मिला है। गरीबों के हित के लिये प्रारम्भ की गई योजना हेतु इन्द्रेश मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हैं।
कृषक निहालसिंह पिछले 4 वर्षों से कर रहे हैं अधिक आय और पोषण से भरपूर ‘सब्जीवाली सोयाबीन’ का उत्पादन "सफलता की कहानी"
उज्जैन | मध्य प्रदेश राज्य में उज्जैन सोयाबीन उत्पादन का एक प्रमुख केन्द्र है। यहां औसतन पांच लाख हेक्टेयर में 1430 किलो प्रति हेक्टेयर के मान से सोयाबीन का उत्पादन हो रहा है। पिछले 40 सालों से भी अधिक समय से उज्जैन में सोयाबीन का उत्पादन हो रहा है, लेकिन इसका घरेलु उपयोग नहीं होने से इसकी कीमतों का निर्धारण अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों से होता है तथा कई बार कृषकों को उचित आर्थिक लाभ प्राप्त नहीं होता।
लेकिन उज्जैन के प्रगतिशील किसान निहालसिंह ने इस परम्परा को तोड़ते हुए लीक से हटकर चलते हुए एक नवाचार किया है। शहर के समीप चिन्तामन जवासिया में रहने वाले किसान निहालसिंह सोयाबीन की एक नई प्रजाति जिसे ‘सब्जीवाली सोयाबीन’ के नाम से जाना जाता है, इस अधिक आय और पोषण से भरपूर वाली सोयाबीन का व्यावसायिक उत्पादन पिछले चार वर्षों से कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि कृषि विज्ञान केन्द्र उज्जैन द्वारा वर्ष 2015-16 में सोयाबीन की यह नई प्रजाति जिसे विदेशों में ‘इडामा’ कहा जाता है, कृषकों के बीच पहुंचाई गई थी। सोयाबीन की यह किस्म प्रति हेक्टेयर हरी फली 50 से 65 क्विंटल तथा बीज 15 से 17 क्विंटल उत्पादन देती है। इसका उपयोग सब्जी के रूप में तथा अन्य व्यंजन जैसे पकौड़े, पराठे आदि में भी किया जा सकता है। यह विशेष रूप से बरसात के मौसम में ग्रामीण क्षेत्रों में उपयुक्त है जब सब्जियों की उपलब्धता कम होती है तथा इसे प्रोटीन के एक बेहतरीन विकल्प के रूप में अपनाया जा सकता है।
इस सब्जी वाली सोयाबीन की यह विशेषता है कि इसमें सामान्य सोयाबीन की अपेक्षा कम मात्रा में प्रोटीन (12 प्रतिशत), कार्बोहाइड्रेट (13.1 प्रतिशत) और वसा (मात्र 3.6 प्रतिशत) होता है, जो शीघ्र पच जाती है, जबकि सामान्य सोयाबीन में 40 प्रतिशत प्रोटीन और 20 प्रतिशत वसा होती है, जिसे हमारा पाचन-तंत्र ठीक से नहीं पचा पाता और इसमें एक विशिष्ट गंध आती है तो अरूचिकर होती है। सब्जीवाली सोयाबीन में इसके अलावा कैल्शियम, लोहा, सोडियम और विटामीन ‘ए’ तथा ‘सी’ की प्रचुर मात्रा है, जो कुपोषण दूर करने में सहायक है।
उज्जैन के प्रगतिशील कृषक निहालसिंह की इस उपलब्धि पर उन्हें कई प्रमाण-पत्र दिये जा चुके हैं। प्रशासन द्वारा तथा हाल ही में राज्य के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल द्वारा भी इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। निश्चित रूप से कृषक निहालसिंह कृषि को लाभ का धंधा बनाने वाले किसानों के लिये एक मिसाल बन चुके हैं।