ऋषिकेश। हरियाली तीज की शुभकामनायें देेते हुये परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि धरती पर हरियाली होगी तभी जीवन में खुशहाली होगी।
स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान समय में प्रकृति और नारी दोनों ही कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप से प्रताड़ित हो रही हैैं, दोनों को ही संरक्षण और सम्मान देने की जरूरत है क्यांेकि नारी और प्रकृति दोनों ही जननी हैं, जन्म देती है, पोषक हैं और पालक भी हैं, इसलिये इन्हें जीने दीजिये, जीवन दीजिये और उनके अधिकार दीजिये।
स्वामी जी ने कहा कि प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण में महिलायें विशिष्ट भूमिका निभा सकती हैं। महिलायें, प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन, संरक्षण और संवर्द्धन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती भी हैं। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति से अपेक्षा है कि वे स्वयं की रक्षा के साथ प्राकृतिक संसाधनों का पूरा-पूरा ध्यान रखें।
स्वामी जी ने कहा कि सावन का महिना, प्रार्थना और प्रेम दोनों का प्रतीक है। यह माह भगवान शिव को समर्पित है, साधना, पूजा और प्रार्थना को समर्पित है वहीं दूसरी ओर उमंग और उत्साह का पर्व, परिवार की सुख-समृद्धि के लिये हरियाली तीज भी इसी माह में मनाया जाता है। इस माह में प्रकृति अपने पूर्ण यौवन में रहती है; धरती की गोद में नवांकुर आते हैैे, आकाश में काले मेघों के आते ही धरा पर मोर अपने पंख फैलाकर मनमोहक नृत्य करता है। पेड़ों पर नव पल्लव तो आते ही हैं, इसके साथ ही टहनियों पर लटके घोसलों से नन्ही चिडिया की मधुर आवाज हमें करूणा से भर देती है, यही सौन्दर्य है श्रावण माह का और इस सौन्दर्य को हरियाली तीज चार चांद लगा देती है।
हरियाली तीज पर महिलायें अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। श्रावण माह के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनायी जाती है। हिन्दू धर्म गं्रथो एवं पौराणिक कथाओं के अनुसार हरियाली तीज के शुभ अवसर पर देवी पार्वती जी ने भगवान शिव का वरण किया था इसलिये आज के दिन सुहागिन महिलायें हरे वस्त्र, हरी चुनरी और हर श्रंृगार करके झूला झूलती हैं। यह हरा रंग प्रकृति की प्यारी सी चुनरी है। महिलायें अपने श्रंृगार के साथ प्रकृति का श्रृृंगार करने हेतु आगे आयें और उसे हरा-भरा बनायें रखे।
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