Thursday, July 23, 2020

माता पार्वती को प्रसन्न करने वाला दिन है हरियाली तीज

माँ नंदा भगवती की स्वरचित वंदना और स्वयं बनाई गईं पेंटिंग के साथ आप सभी को हरियाली तीज की हार्दिक शुभकामनाएँ।
म्यारा तीज त्योहारा,सबै तुकैंणि दियु छ,
हे नंदा भगवती त्यारा, नाम लियु छ।
म्यारा तीज त्योहारा.........
दैणि है जाये हे,गण कुमौ की चेली,
राति ब्याणि मैय्या तेरो,दिया लाग्यू छ।
म्यारा तीज त्योहारा..........
पिछौड़ी घाघेरी मैय्या,तुकैं भेटि बेरा,
फूल पाति धुबैणा, त्यारा थानें धरयु छ।
म्यारा तीज त्योहारा........

रिपोर्ट-मनोरमा सुयाल रावत।
 -सावन के महीने में मनाई जाने वाली हरियाली तीज का त्योहार  आज गुरुवार, 23 जुलाई 2020 को है। हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर हरियाली तीज मनाया जाता है। हरियाली तीज पर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। हरियाली तीज के मौके पर सुहागिन महिलाएं श्रृंगार कर दिनभर व्रत रखते हुए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-आराधना और जाप करती हैं।
 हरियाली तीज का उपवास सुहागिन महिलाओं के साथ कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की कामना के साथ करती हैं। मान्यता है कि सावन महीने में भगवान शिव ने देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार करने का वर दिया था।
हरियाली तीज का त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों में बड़े ही धूम धाम के साथ मनाई जाती है। हरियाली तीज के मौके पर महिलाएं श्रंगार कर एक जगह एकत्र होकर झूला झूलती और सावन के मधुर गीत गाती हैं। माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, इससे प्रसन्न होकर शिव ने हरियाली तीज के दिन ही माँ पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया था। तभी से ऐसी मान्यता है जो सुहागिन महिलाएं सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर उपवास रखकर भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करेगी उन्हें अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त मिलता है।
हरियाली तीज का व्रत करवा चौथ के व्रत से भी कठिन होता है। इस पर्व में महिलाएं दिनभर निर्जजा व्रत रख पूजा करती है फिर अगले दिन उपवास तोड़ती हैं। 
हरियाली तीज का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। 
हरियाली तीज में हरी चूड़ियां, हरे वस्त्र पहनने, सोलह शृंगार करने और मेहंदी रचाने का विशेष महत्व है। इस त्यौहार पर विवाह के पश्चात पहला सावन आने पर नवविवाहित लड़कियों को ससुराल से मायके बुला लिया जाता है। लोकमान्य परंपरा के अनुसार नव विवाहिता लड़की के ससुराल से इस त्यौहार पर सिंजारा भेजा जाता है जिसमें वस्त्र,आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी, घेवर-फैनी और मिठाई इत्यादि सामान भेजा जाता है। इस दिन महिलाएं मिट्टी या बालू से मां पार्वती और शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करती हैं। पूजन में सुहाग की सभी सामग्री को एकत्रित कर थाली में सजाकर माता पार्वती को चढ़ाना चाहिए।

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