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Friday, July 31, 2020
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को सचिवालय में लेखक एवं समीक्षक गोपाल सिंह थापा की पुस्तक देहरादून सिनेमाॅज का विमोचन भी किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने दून विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ सिनेमेटिक स्टडीज की स्थापना करते हुए फिल्म शिक्षा पर कोर्स प्रारम्भ किए जाने के दिए निर्देश
आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत एमएसएमई क्षेत्र में भी मध्य प्रदेश को नंबर वन रहना है : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
राज्यपाल ने तीन नए मंत्रियों को शपथ दिलाई
हिमाचल प्रदेश मंत्रिमण्डल के निर्णय
भारतीय जनता पार्टी राज्य में नई ऊंचाइयां प्राप्त करेंगी और सुरेश कश्यप की अध्यक्षता में पार्टी अपने आधार का विस्तार करेगी:भारतीय जनता पार्टी राज्य में नई ऊंचाइयां प्राप्त करेंगी और सुरेश कश्यप की अध्यक्षता में पार्टी अपने आधार का विस्तार करेगी
मुख्यमंत्री को ईको-फ्रेंडली राखी भेंट की
मुख्यमंत्री ने चोपाल विधानसभा क्षेत्र में 188 करोड़ रुपये की विकासात्मक परियोजनाओं के लोकार्पण व शिलान्यास किए
भारत सरकार किसानों की आय बढ़ाने और युवाओं को रोजगार अवसर प्रदान करने के लिए कृषि क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित कर रही है : नरेंद्र सिंह तोमर
प्रधानमंत्री स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2020 के ग्रैंड फिनाले को संबोधित करेंगे
||चल पथिक निरंतर||
||चल पथिक निरंतर||
चल चला चल पथिक निरंतर, तनिक नहीं विश्राम करो।
मंजिल को पाने की खातिर, स्वपथ का निर्माण करो।।अर्जुन सा लक्ष्य तुम साधों, एकलव्य सी साधना।
चन्द्रगुप्त मौर्य बन जाओ, संकटों से ना हारना।
प्रहलाद सी भक्ति हो तुझमें, ध्रुव सा निश्चय अडिग करोचल चला चल पथिक निरंतर, तनिक नहीं विश्राम करो।
मंजिल को पाने की खातिर, स्वपथ का निर्माण करो।।राह में कंटक लाख मिलेंगे, राही मन का धैर्य ना खोना।
शंकाओं को छोड दो पीछे, भाग्य की तुम बाट ना जोहना।
होगा लक्ष्य सुनिश्चित इक दिन, मन भीतर विश्वास धरो।चल चला चल पथिक निरंतर, तनिक नहीं विश्राम करो।
मंजिल को पाने की खातिर, स्वपथ का निर्माण करो।।नया दौर आयेगा फिर से, युग निर्माता कहलाओगे।
बटोही बढ़ना आगे-आगे, पीछे दुनिया को पाओगे।
उद्देश्यजनित, उत्साहपूर्ण,उत्कृष्ट कर्माें की नींव धरो।चल चला चल पथिक निरंतर, तनिक नहीं विश्राम करो।
मंजिल को पाने की खातिर, स्वपथ का निर्माण करो।।
यह कविता सम्पूर्ण सर्वाधिकार सुरक्षित है कृपया प्रकाशन से पूर्व लेखिका की संस्तुति अनिवार्य है।
Wednesday, July 29, 2020
हंस फाउण्डेशन के अध्यक्ष भोले जी महाराज के जन्मोत्सव कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, माता मंगला जी और भोले जी महाराज ने हंस फाउंडेशन की 100 करोड़ रूपये की योजनाओं का संयुक्त रूप से लोकार्पण
केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी एवं मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आरसीएस उड़ान योजना के अन्तर्गत देहरादून नई टिहरी श्रीनगर गौचर हैली सेवा का आनलाईन शुभारम्भ किया।
पहाड की प्रतिभा!-- हिमालय के अंतिम गांव 'वाण' के होनहार 'दीपक' को दसवीं में 81% फीसदी अंक, पहाड़ के छात्रों के लिए बनें प्रेरणास्रोत...
साइकिल प्योर अगरबत्ती के निर्माता एन रंगा राव एंड संस एवं असम सरकार अगरबत्ती निर्माण के लिए बांस विकास परियोजना में सहयोगी बने
देहरादून । एन रंगा राव एंड संस (एनआरआरएस), भारत की सबसे बड़ी अगरबत्ती उत्पादक और साइकिल प्योर अगरबत्ती के निर्माताओं ने असम सरकार के साथ मिलकर अगरबत्ती निर्माण के लिए बांस उत्पादन के लिए एक समर्पित परियोजना स्थापित करने की घोषणा की। एनआरआरएस इस एसोसिएशन के माध्यम से, बांस की छड़ें बनाने के लिए परिचालन सहायता और तकनीकी जानकारी का विस्तार करेगा।
Tuesday, July 28, 2020
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवसहमारा लक्ष्य केवल विकास ही नहीं बल्कि स्थायी, सतत, सुरक्षित और हरित विकास हो - स्वामी चिदानन्द सरस्वती
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हमारे जीवन में होने वाली प्रत्येक क्रिया और गतिविधि प्रकृति पर निर्भर करती है। मानव द्वारा किये जा रहे प्रत्येक कार्य और व्यवहार का असर पर्यावरण और पृथ्वी पर पड़ता है जिससे वे प्रभावित होते हैं। पृथ्वी पर उपस्थित सभी मनुष्यों और प्राणियों के जीवन के लिए जल, वायु, पेड़, भोजन, मिट्टी, खनिज तत्व अत्यंत आवश्यक है और यह हमें प्रकृति से ही प्राप्त होेेते हैं इसलिये प्रकृति का संरक्षण जरूरी है। प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण हेतु अपना योगदान प्रदान करें। हम सभी का कर्तव्य है कि पर्यावरण को स्वच्छ, सुरक्षित और संरक्षित करें ताकि वर्तमान और भावी पीढ़ियों के लिए स्वच्छ, स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण का निर्माण किया जा सके।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के आँकड़ों के अनुसार, पृथ्वी पर पाए जाने वाले कुल जीव-जंतुओं में से लगभग 7-8 प्रतिशत भारत में पाए जाते हैं। साथ ही भारत की जनसंख्या विश्व की कुल आबादी का लगभग 17 प्रतिशत है, जबकि भारत का क्षेत्रफल पृथ्वी के कुल भू-भाग का मात्र 2.4 प्रतिशत ही है। ऐसे में विकास के लिये जो भी योजनाओं बनायी जाती है और उनका कार्यान्वयन किया जाता है, उस समय प्रकृति और पर्यावरण पर विपरित प्रभाव पड़ता है, इसलिये हमें सतत और हरित विकास पर जोर देना होगा। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने तेजी से विकास किया और अभी भी जारी है परन्तु इस दौरान प्रकृति के क्षरण, पर्यावरण प्रदूषण और अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। हमें यह बात याद रखना होगा कि विकास हो और आर्थिक हितों को भी ध्यान में रखा जाये परन्तु सबसे जरूरी है पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखना।
स्वामी जी ने कहा कि बदलते वैश्विक परिवेश में किसी भी देश के विकास के लिये भरपूर प्राकृतिक संसाधनों का होना नितांत आवश्यक है। वहां के नागरिकों को भी मूलभूत सुविधायें और विकास के नए अवसर प्रदान करने के साथ पर्यावरण के हितों को ध्यान में रखना नितांत आवश्यक है, विकास और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखने हेतु आवश्यक कदम उठाने चाहिये और यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है बल्कि हर व्यक्ति की परम कर्तव्य है। हम छोटे-छोटे प्रयास करें यथा पालिथिन, थर्मोकोल और एकल उपयोग प्लास्टिक का उपयोग न करें। पीपल, वट, नीम, पाकर तथा जड़दार, जलदार, छायादार, फलदार आदि पौधों का रोपण करंे, कम से कम तुलसी का पौधा तो अवश्य लगायें, पर्यावरणविद्ों ने भी तुलसी के पौधों को पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक माना है पर्यावरण को शुद्ध करने वाला पौधा माना है और इसमें मानव को स्वस्थ करने के चमत्कारी गुण भी है।
स्वामी जी ने कहा कि हमें ग्रीन कल्चर को बढ़ावा देना होगा। प्रकृति के साथ जीना होगा और प्रकृति के अनुरूप विकास करना होगा तभी हम आगे आने वाली पीढ़ियों को सुखद भविष्य दे सकते हैं। आईये आज संकल्प ले कि प्रतिवर्ष कम से कम एक पौधे का रोपण और संरक्षण अवश्य करेंगे। प्रत्येक व्यक्ति प्रतिवर्ष एक पौधे का रोपण और संरक्षण करें तो भी विलक्षण परिवर्तन हो सकता है।
ओरिएंट बेल लिमिटेड ने वर्तमान समय की जरूरत के अनुरूप जर्म-फ्री टाईल प्रस्तुत किया
देहरादून। टाईल निर्माण व्यवसाय में एक भरोसेमंद नाम ओरिएंट बेल लिमिटेड आपके लिए जर्म-फ्री टाईल लेकर आया है। सामाजिक दायित्व वाली कंपनी ओरिएंट बेल को महसूस हुआ कि बीमारी करने वाले जर्म्स के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए यह समय इन टाईल्स को प्रस्तुत करने के लिए उपयुक्त है। स्वास्थ्य एवं सुरक्षा बनाए रखने के इस दौर में घर ही वह स्थान है, जहां पर व्यक्ति सुकून व आराम चाहता है।
ओरिएंट बेल की जर्म-फ्री टाईल्स को स्वास्थ्य के संकट से जूझ रही दुनिया में उपभोक्ताओं की जरूरत को ध्यान में रखकर डिज़ाईन किया गया है। इन अत्यधिक फंक्शनल टाईल में इनऑर्गेनिक कोटिंग के साथ नैनो पार्टिकल्स हैं, जो लंबी शेल्फ लाईफ सुनिश्चित करते हैं। परिणाम यह है कि ये टाईल ज्यादा टिकाऊ हैं और मौसम व अन्य प्रकार की क्षति को सहन कर सकते हैं। इसके अलावा मॉपिंग के चक्र के बीच ये एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करते हैं। ओरिएंट बेल टाईल्स को भारत की सर्वश्रेष्ठ औद्योगिक टेस्टिंग व रिसर्च लैब्स (एनएबीएल अनुमोदित) में से एक, बायोटेक सर्विसेस मुंबई द्वारा जापानी औद्योगिक स्टैंडर्ड के लिए जाँचा गया है। इस स्टैंडर्ड में 2 सबसे खतरनाक बैक्टीरिया - इशेरिशिया कोली (ई.कोली) और स्ट्रेफाईलोकोकस औरियस के खिलाफ प्रभावशीलता की जाँच की गई। जब 99 प्रतिशत बैक्टीरिया खत्म हो गए, तब टाईल को जर्म-फ्री का सर्टिफिकेशन दिया गया। अपनी विस्तृत उत्पाद श्रृंखला के साथ ओरिएंट बेल उन लोगों की पहली पसंद है, जो डिज़ाईन को समझते हैं तथा हाईज़ीन व सुरक्षा को महत्व देते हैं। सेरेमिक एवं ग्लेज़्ड विट्रिफाईड बॉडी में उपलब्ध, ये टाईल दीवार एवं फर्श दोनों के लिए आते हैं। ग्राहकों को जीवीटी में 600x600mm तथा सेरेमिक में 300x600mm, 300x450mm व 300X300mm के साथ अनेक डिज़ाईन व साईज़ मिलते हैं। जर्म-फ्री टाईल घरों, प्राथमिक स्कूलों, अस्पतालों, ऑफिसेस एवं वाणिज्यिक संस्थानों में विभिन्न तरह के इंटीरियर के लिए उपयुक्त हैं।
हाल ही में फैली महामारी ने हमें स्वच्छ वातावरण बनाए रखने का महत्व समझा दिया। जर्म-फ्री टाईल इसी का एक समाधान हैं। अपनी नई श्रृंखला के साथ ओरिएंट बेल कोविड के खिलाफ लड़ाई में अपना योगदान दे रहा है। जर्म-फ्री वातावरण में सेहतमंद जिंदगी पर हर किसी का अधिकार है।
लोगों को गुणवत्तापूर्वक और व बेहतर चिकित्सा सुविधिाएं हरहाल में मुहैया करायी जाय:जिलाधिकारी
जिलाधिकारी ने समिति के सदस्यों को निर्देशित किया कि कोरोनेशन एवं गांधी नेत्र चिकित्सालय दोनों में चिकित्सा सुविधाओं को बढाने के लिए हर सम्भव प्रयास किया जाय तथा लोगों को गुणवत्तापूर्वक और व बेहतर चिकित्सा सुविधिाएं हरहाल में मुहैया करायी जाय। उन्होंने निर्देश दिये कि कोरोना कोविड-19 को देखते हुए इस बात का ध्यान रखें की चिकित्सालय में सभी स्टाफ और आगन्तुक अनिवार्य रूप से मास्क पहने हों तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी करतें हो। उन्होंने इस सम्बन्ध में मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देशित किया कि जनपद के सभी अस्पतालों में कोरोना से बचाव व इस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए शासन प्रशासन स्तर से जारी एस.ओ.पी तथा गाईडलाईन का पूर्णतः पालन किया जाय तथा इस सम्बन्ध में किसी प्रकार की लापरवाही ना की जाय।
बैठक में चिकित्सा प्रबन्धन समिति के सदस्यों में दोनो चिकित्सालयों में चिकित्सा सुविधाओं को बढाने दवाई, जांच मशीनें, उपकरण, फर्नीचर, मानव संसाधन तथा अतिरिक्त चिकित्सा यूनिट-कक्ष बढाने से सम्बन्धित प्रस्ताव सामने रखे, जिसका समिति द्वारा अनुमोदन किया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि इस बरसाती सीजन में डेंगू मलेरिया और कोविड-19 को देखते हुए जो भी जरूरी मेडिकल सुविधाएं बढानी जरूरी हैं उनको बढाया जाय। उन्होनंे बरसाती सीजन के लिए डेंगू-मलेरिया के दृष्टिगत समिति द्वारा प्रस्तुत 2 लैब टैक्निशियन कोरोनेशन अस्पताल तथा 2 गांधी नेत्र चिकित्सालय में पीआरडी के माध्यम से नियुक्ति के प्रस्ताव का अनुमोदन भी किया। जिलाधिकारी ने कोरोनेशन अस्पताल में फोर्टिज अस्पताल की संचालित कैंटीन को खाली करवाने तथा उनसे अब-तक का सम्पूर्ण किराया वसूल करने के भी मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देश दिये।
इस दौरान वीडियों कान्फ्रसिंग से सम्पन्न हुई बैठक में अपर जिलाधिकारी प्रशासन अरविन्द पाण्डेय, मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ बी.सी रमोला, मुख्य कोषाधिकारी नरेन्द्र सिंह सहित समिति के अन्य सदस्य उपस्थित थे।
‘‘उद्योग मित्र समस्या निस्तारण हेतु ऑनलाइन पोर्टल बनाया जाएः जिलाधिकारी’’
जिलाधिकारी ने औद्योगिक क्षेत्र पटेल नगर, सेलाकुई तथा मोहब्बेवाला में मार्गो, नालियों, सड़कों की नियमित साफ-सफाई, स्ट्रीट लाइट लगाने व उसका रख-रखाव के नगर निगम देहरादून को निर्देश दिए।
‘‘औद्योगिक क्षेत्रों में कोरोना की रोकथाम हेतु जारी की जाने वाली गाईलाइन के अनुपालन के लिए औद्योगिक एसोसिएशन भी प्रोक्टिव तरीके से कार्य करें’’
जिलाधिकारी ने उद्योग मित्र समिति के सदस्यों को निर्देश दिए कि कोरोना वायरस पर प्रभावी नियंत्रण बनाए रखने के लिए और औद्योगिक एसोसिएशन गंभीरता से कार्य करेंगीं, इसके लिए एक सुपरविजन कमेटी का गठन भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यदि कहीं पर कोई कोरोना पॉजिटिव मामला संज्ञान में आता है तो औद्योगिक क्षेत्र में पूरी कांटेक्ट ट्रेसिंग होनी चाहिए। इससे संबंधित कोई भी बात शासन-प्रशासन से छुपाई ना जाए, तत्काल प्राइमरी और सेकंड्री कंाटेंक्ट को आइसोलेट करते हुए संबंधित पूरे क्षेत्र को पूर्ण सैनिटाइज किया जाए। कार्मिकों/मजदूरों के आने-जाने, काम करने, लंच करने और छुट्टी के टाइम को इस तरह मैनेज किया जाए ताकि पर्याप्त सोशल डिस्टेंसिंग बनी रहे। फैक्ट्री में कार्मिक मास्क पहने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो तथा सैनिटाइज भी करते रहे। उन्होंने कहा कि यदि कोई मजदूर छुट्टी से लौटता है तो उसको सीधे प्रवेश ना दें पहले उसकी जांच और पर्याप्त आइसोलेशन का पालन करवाएं ।
मजदूरों के आवासीय कमरों में यदि अन्य व्यक्ति साथ रहता है तो उसकी भी सूचना रखें। इसके अतिरिक्त समय-समय पर मजदूरों कार्मिकों को काउंसलिंग करते रहे उनको क्व्ष्े और कवदष्ज बताएं तथा औद्योगिक क्षेत्र में इसका होर्डिंग, ब्रोशर्स लगाकर व्यापक प्रचार-प्रसार भी करवाएं।
औद्योगिक एसोसिएशन के सदस्यों ने बैठक में कहा कि जो फैक्ट्रियां कोरोना से प्रभावित हुई हैं लंबे समय से बंद है उनके व व्यवसायिक कर, जलकर व भवन कर इत्यादि में यथासंभव छूट दी जाए, जिस पर जिलाधिकारी ने इस मामले को उच्च स्तर पर संदर्भित करने का आश्वासन दिया। सदस्यों ने सोलर पावर प्रोजेक्ट में बैंक ऋण गारंटी में छूट देने की मांग की, ईएसआई के 100 बेड हॉस्पिटल निर्माण के लिए भूमि चिन्हित करने की मांग की तथा विकासनगर और लांगा क्षेत्र में अवस्थापना सुविधाओं को बढ़ाने की बात कही, जिस पर जिलाधिकारी ने संबंधित विभागों से तथा उचित स्तर पर उसके समाधान करने का आश्वासन दिया।
इस दौरान बैठक में मुख्य विकास अधिकारी नितिका खंडेलवाल, महाप्रबंधक जिला उद्योग केंद्र शिखर सक्सेना, उद्योग एसोसिएशन से पंकज गुप्ता, हेमंत पुरी, अनिल मारवा, राकेश, महेश आदि उपस्थित थे।
हेपेटाइटिस का कारण बन सकता है टैटू: डाॅ0 सुजाता
- जानलेवा है हेपेटाइटिस की बीमारीः डाॅ0 सुजाता संजय
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भारत बाघ संरक्षण के मामले में अब नेतृत्व की भूमिका में : प्रकाश जावड़ेकर
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने वैश्विक बाघ दिवस की पूर्व संध्या पर बाघों की गणना पर विस्तृत रिपोर्ट जारी की
भारत बाघ संरक्षण के मामले में अब नेतृत्व की भूमिका में, बाघ वाले देशों के साथ संरक्षण के सर्वोत्तम तरीके साझा करेगा: श्री प्रकाश जावड़ेकर
वन क्षेत्र में चारे और पानी की बढ़ोतरी के लिए पहली बार एलआईडीएआर सर्वेक्षण तकनीक का इस्तेमाल होगा: पर्यावरण मंत्री
नई दिल्ली ,केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज वैश्विक बाघ दिवस की पूर्व संध्या पर नई दिल्ली में बाघों की गणना पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि बाघ प्रकृति का एक असाधारण हिस्सा है और भारत में इनकी बढ़ी संख्या प्रकृति में संतुलन को दर्शाती है।
श्री जावड़ेकर ने कहा कि बाघ और अन्य वन्य जीव भारत की एक प्रकार की ताकत हैं जिसे भारत अंतर्राष्ट्रीय मोर्चे पर दिखा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत के पास धरती का काफी कम हिस्सा होने जैसी कई बाधाओं के बावजूद, भारत में जैव-विविधता का आठ प्रतिशत हिस्सा है क्योंकि हमारे देश में प्रकृति, पेड़ों और इसके वन्य जीवन को बचाने और उन्हें संरक्षित करने की संस्कृति है। वन्यजीवों को हमारी प्राकृतिक संपदा बताते हुए श्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि यह प्रशंसा की बात है कि भारत में दुनिया की बाघों की आबादी का 70 प्रतिशत हिस्सा है। उन्होंने कहा कि भारत बाघों के पोषण की दिशा में बाघ वाले सभी 13 देशों के साथ मिलकर अथक प्रयास कर रहा है।
श्री जावड़ेकर ने यह भी घोषणा की है कि उनका मंत्रालय एक ऐसे कार्यक्रम पर काम कर रहा है जिसमें मानव और जानवरों के बीच टकराव की चुनौती से निपटने के लिए जंगल में ही जानवरों को पानी और चारा उपलब्ध कराने की कोशिश की जाएगी। इस टकराव से कई जानवरों की मौत हो रही है। इसके लिए पहली बार एलआईडीएआर (लिडार) आधारित सर्वेक्षण तकनीक का उपयोग किया जाएगा। लिडार लेजर प्रकाश से लक्ष्य को रोशन करके और एक सेंसर के साथ प्रतिबिंब को मापने के जरिए दूरी को मापने की एक विधि है।
बाघ की प्रमुख प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए पर्यावरण मंत्री द्वारा छोटी बिल्लियों की उपस्थिति पर एक पोस्टर भी जारी किया गया। बाघ अभयारण्यों के बाहर भारत के कुल बाघों के लगभग 30 प्रतिशत बाघ रहते हैं। इसे देखते हुए भारत ने वैश्विक रूप से विकसित संरक्षण आश्वासन / बाघ मानकों (सीए /टीएस) के माध्यम से इनके प्रबंधन तरीके का आकलन करन शुरू किया था जिसे अब देश भर के सभी पचास बाघ अभयारण्यों तक विस्तारित किया जाएगा।
इस अवसर पर पर्यावरण राज्य मंत्री श्री बाबुल सुप्रियो ने कहा कि मानव–पशु टकराव से बचा जा सकता है लेकिन देश में इसे खारिज नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष काम कर रहे अधिकारियों ने देश में बाघों की संख्या बढ़ाने का सराहनीय काम किया है।
चौथे अखिल भारतीय बाघ अनुमान की विस्तृत रिपोर्ट निम्नलिखित मायने में अद्वितीय है;
- सह-शिकारियों और अन्य प्रजातियों के जानवरों के बहुतायत सूचकांक तैयार किए गए हैं, जिन्हें अब तक सिर्फ रहने भर तक सीमित किया गया है।
- सभी कैमरा लगे इलाकों में बाघों का लिंगानुपात पहली बार किया गया है।
- बाघों की आबादी पर मानवजनित प्रभावों का विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है।
- बाघ अभयारण्यों के भीतर बाघों की मौजूदगी का पहली बार प्रदर्शन किया गया है।
रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में बाघ क्षेत्र वाले देशों के शासनाध्यक्षों ने बाघ संरक्षण पर तैयार किए गए सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा पर हस्ताक्षर करके 2022 तक अपने-अपने देशों में बाघों की संख्या दोगुना करने का संकल्प लिया था। उस बैठक के दौरान दुनिया भर में 29 जुलाई को वैश्विक बाघ दिवस के रूप में मनाने का भी निर्णय लिया गया। तभी से हर साल बाघ संरक्षण पर लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने और उसके प्रसार के लिए वैश्विक बाघ दिवस मनाया जा रहा है।
पिछले साल वैश्विक बाघ दिवस, 2019 के दौरान यह भारत के लिए गर्व का क्षण था क्योंकि प्रधानमंत्री ने दुनिया के सामने बाघों की संख्या दोगुना करने के भारत के अपने संकल्प को लक्ष्य वर्ष से चार साल पहले पूरा करने की घोषणा की। भारत में बाघों की कुल आबादी अब 2967 है जो दुनिया भर में बाघों की आबादी का 70 प्रतिशत है। भारत की झोली में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की उपलब्धि आई है जो विश्व में कैमरे का विशाल जाल बिछाकर वन्यजीवों के सर्वेक्षण के रूप में देश की कोशिशों को मान्यता देता है।
आज जारी विस्तृत रिपोर्ट में पूरे भारत में स्थानिक अध्यावास और घनत्व के संदर्भ में बाघों की स्थिति का आकलन किया गया है। भारत के प्रधानमंत्री द्वारा जुलाई, 2019 में ‘भारत में बाघों की स्थिति’ पर जारी संक्षिप्त रिपोर्ट के अलावा, आज जारी इस विस्तृत रिपोर्ट में पिछले तीन सर्वेक्षणों (2006, 2010 और 2014) से प्राप्त जानकारी की तुलना देश में बाघों की संख्या के रुझान का अनुमान लगाने के लिए 2018-19 में किए सर्वेक्षण से मिली जानकारी से की गई है। इसमें 100 किलोमीटर के दायरे में बाघ की स्थिति में बदलाव के लिए जिम्मेदार संभावित कारकों की जानकारी के साथ-साथ वास्तविक परिदृश्य, बाघों के उपनिवेश और उनके विलुप्त होने की दर के बारे में भी विशेष रूप से जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट में बाघ आबादी वाले प्रमुख क्षेत्रों को जोड़ने वाले निवास स्थानों की स्थिति का मूल्यांकन किया गया है और वैसे क्षेत्रों की पहचान की गई है जिन्हें हर हाल में संरक्षण की आवश्यकता होती है। रिपोर्ट में प्रमुख मांसाहारी जानवरों के बारे में जानकारी दी गई है और उनके विचरण क्षेत्र और सापेक्ष बहुतायत के बारे में बताया गया है।