
कुलबीर बिष्ट का 'आत्मनिर्भर माॅडल'--- शादी के कार्ड से शुरू हुआ सफर आज डिजिटल इंडिया के जरिये धरातल में अपनी चमक बिखेर रहा है..
ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!
पहाड़ पर रहने वाले पहाड़ सा हौसला लेकर जीते हैं। कामयाबी के दरवाजे उन्हीं के लिए खुलते हैं जो उन्हें खटखटाने की ताकत रखते हैं। जी हां इन पंक्तियों को सार्थक कर दिखाया है सीमांत जनपद चमोली के गरूड गंगा- पाखी (पीपलकोटी) निवासी कुलबीर बिष्ट नें। जिनका आत्मनिर्भर माॅडल आज लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है। उन्होंने दिखलाया है कि यदि दृढ इच्छा शक्ति और संकल्प लिया जाय तो पहाड़ में रहकर भी बहुत कुछ किया जा सकता है। जरूरत है केवल नजरिया बदलने की, अपनी माटी पर विश्वास और खुद पर भरोसा करने की।
शादी के कार्ड नें दिखलाई राह!
कुलबीर बिष्ट का बचपन से ही सपना था की वो कुछ अलग करे। इसलिए वो कभी भी नौकरी के पीछे नहीं भागे। उनके पास मौका था आर्मी, पुलिस सहित अन्य विभागों में जाना लेकिन वे कभी न तो लाइन में खडे हुए ना ही कोई फार्म भरा। कम्प्यूटर का डिप्लोमा और स्नातक की पढ़ाई कॉमर्स से करने के पश्चात उनके पास एक ओर मौका था सीए बनकर अपना सुनहरा भविष्य बनाने की। लेकिन उन्होंने सीए बनने की जगह अपने पहाड़ में रहकर ही कार्य करनें की ठानी। एक दिन कम्प्यूटर का डिप्लोमा करते हुये उन्होंने वहां शादी के कार्ड बनाना सीखा। जिसके बाद उनके मन में ख्याल आया की क्यों नहीं खुद का कार्य किया जाय। 2010 में उन्होंने पीपलकोटी जैसे पहाड़ के छोटे से कस्बे में (जहां से उनका गांव बमुश्किल से 5 किमी की दूरी पर था) में अपना कम्प्यूटर सेंटर और शादी के कार्ड बनाने की छोटी सी दुकान किराये पर ली। शुरूआत के दो तीन साल भले ही थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा परंतु उसके बाद कुलबीर बिष्ट नें पीछे मुडकर नहीं देखा और तरक्की की राह पर आगे बढते चले गये। आज 10 साल बाद कुलबीर बिष्ट आयुषी कम्प्यूटर एजुकेशन के सीईओ हैं तो वहीं सरस्वती प्रिंटिंग प्रेस और सिद्धनाथ डिजिटल फोटोग्राफी के मालिक भी है। उन्होंने कई युवाओं को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी दिया हुआ है। वे प्रतिमाह अपने पहाड़ में उतना कमा देते हैं जितना एक बहुराष्ट्रीय कंपनी का मैनेजर घर से हजारों किलोमीटर दूर महानगरों में एक महीने में कमा लेता है। वे सामाजिक गतिविधियों, पत्रकारिता और संस्कृति से भी जुड़े हुये हैं। वे पीपलकोटी से राष्ट्रीय सहारा के संवाददाता भी हैं। पीपलकोटी की हर छोटी बडी खबरों की सटीक और प्रमाणिकता हैं कुलबीर बिष्ट।

-- डिजिटल इंडिया को धरातल पर क्रियान्वित कर रहे हैं!
पीपलकोटी जैसे पहाड़ के छोटे से कस्बे में कुलबीर बिष्ट आयुषी कम्प्यूटर एजुकेशन और सीएससी (काॅमन सर्विस सेंटर) के जरिये लगभग 50 से भी अधिक ग्रामसभाओ के लोगों के लिए की-पर्सन बनें हुये हैं। इस सेंटर के जरिये ग्रामीणों के बिजली के बिलों, पानी के बिल, टेलीफोन के बिल, मोबाइल रीचार्ज, डिश रिचार्ज, एलआइसी की किस्तें, गाड़ियों के एश्योरेंस, रेलवे टिकट, हवाई जहाज के टिकट, ड्राइविंग लाइसेंस के ऑनलाइन भुगतान के अलावा आय प्रमाण पत्र, मूल निवास प्रमाण पत्र, जाति प्रमाणपत्र, आधार कार्ड, पेन कार्ड सहित विभिन्न प्रमाण पत्रों को समयावधि में बनाना और लोगों तक पहुंचाया जाता है। जबकि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के फार्म भी यहाँ पर ऑनलाइन भरे जातें हैं और युवाओं को कम्प्यूटर का 6 महीने से लेकर 1 साल का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। कुलबीर बिष्ट सरस्वती प्रिंटिंग प्रेस के जरिये लोगों की शादियों के आकर्षक कार्ड की छपाई भी खुद करते हैं। जिससे शादियों के सीजन में उन्हें अच्छा खासा मुनाफा भी हो जाता है। वहीं फोटोग्राफी की बुकिंग से भी फायदा होता है। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि पहाड़ के एक छोटे कस्बे में आपको डिजिटल इंडिया की असली तस्वीर देखनी हो तो आप पीपलकोटी में कुलबीर बिष्ट जी के आयुषी कम्प्यूटर एजुकेशन सेंटर में आ सकतें हैं। एक छत के नीचे कुलबीर बिष्ट का आत्मनिर्भर माॅडल हर किसी को भा रहा है।

कुलबीर बिष्ट से उनके आत्मनिर्भर माॅडल पर लंबी गुफ्तगु हुई। वे कहते हैं कि अब समय आ गया है कि पहाड़ के प्रति नजरिया बदलने की। यहाँ रहकर भी बहुत कुछ किया जा सकता है। बस थोड़ा धैर्य और हौंसला चाहिए। पहाडों में रोजगार के असीमित संभावनाएं हैं। पशुपालन, कृर्षि, बागवानी, मौन पालन, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, जडी बूटी उत्पादन, डेरी उद्योग, रिंगाल व हस्तशिल्प कला, ट्रैकिंग, साहसिक पर्यटन, धार्मिक पर्यटन सहित विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन किया जा सकता है। मेरा सपना था की कुछ अलग करना है। शुरू शुरू में थोड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा लेकिन आज 10 साल बाद खुद का आंकलन करता हूँ तो सुकून मिलता है। मेरी कोशिश है कि पहाड़ में भी डिजिटल इंडिया मिशन को धरातल में क्रियान्वित कर संकू। कुछ हद तक सफल जरूर हुआ हूँ। अभी बहुत कुछ करना शेष है। मैं चाहता हूँ कि लोगों को उनके घर पर ही सुविधा मिले। हमारी टीम समय समय पर गांव गांव जाकर लोगों के प्रमाण पत्र, स्वास्थ्य कार्ड सहित अन्य समस्त आवश्यक कार्य करती है। अधिकतर लोगों के कार्यों को मोबाइल फोन द्वारा ही पूरा कर लिया जाता है ताकि लोगों को सेंटर तक न आना पडे।

अब पहाड़ भी बदल रहा है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो हमें कुलबीर बिष्ट के आत्मनिर्भर माॅडल से सीख लेने की आवश्यकता है ताकि पहाड़ में रहकर रोजगार के अवसरों का सृजन किया जा सके और पहाड़ से हो रहे पलायन को रोका जा सके। शुरूआत में जरूर कुछ परेशानी उठानी पड़ेगी लेकिन भविष्य जरूर संवरेगा। जिस तरह से कोरोना काल में लोगों का रोजगार छिना है ऐसे में पहाड़ की युवा पीढी को चाहिए की वो खुद स्वरोजगार के जरिए रोजगार सृजन की उम्मीदों को पंख लगायें...
और अंत में .. कुलबीर बिष्ट जी के आत्मनिर्भर माॅडल के लिए ये पंक्तियाँ..
जिंदगी की असली उड़ान अभी बाकी है। जिंदगी के कई इम्तिहान अभी बाकी हैं। अभी तो नापी है मुटठी भर ज़मीन आपने। आगे अभी सारा आसमान बाकी है..
कुलबीर बिष्ट
Vimal M Malasi
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