ऋषिकेश 21 मई। विश्व विख्यात पर्यावरणविद्, पदम विभूषण, प्रकृति की संस्कृति को जीने वाले महान व्यक्तित्व के धनी श्री सुन्दरलाल बहुगुणा जी के गोलोक गमन पर अपनी संवेदनायें व्यक्त करते हुये परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि पर्यावरणीय नैतिकता; प्रकृति के प्रति उदारता और सौहार्दपूर्वक व्यवहार का संदेश देने वाले श्री सुन्दरलाल बहुगुणा जी को आने वाली पीढ़ियाँ हमेशा ’पर्यावरण पुरोधा’ के रूप में हमेशा याद रखेगी।
जंगल जिनकी जान, गंगा जिनकी शान और भारत देश महान ऐसे तपस्वी श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी का जाना उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिये अपूरणीय क्षति है। वे सदैव से ही पर्यावरण के प्रति अत्यंत गंभीर थे। सन 1973 में, उत्तराखंड में, श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के नेतृत्व में चिपको आंदोलन शुरू हुआ था, जिसने वन नीतियों में बदलाव करने पर मजबूर कर दिया था।
ऐसा लगता था मानो बहुगुणा जी वृक्षों की आवाज़ हो। उन्होंने वृक्षों के संरक्षण का संदेश जनसमुदाय तक पहुंचाने हेतु अद्भुत कार्य किये। उनके नेतृत्व में पर्यावरणीय आंदोलन ‘‘चिपको’’ ने एक अंतर्राष्ट्रीय पहचान पायी। वर्तमान समय में जो पर्यावरणीय ह्यस हो रहा हैं एवं उसके जो गंभीर परिणाम हम सभी आज देख रहे हैं इसके लिये श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी जैसे सशक्त नेतृत्व की आज आवश्यकता है। श्री सुन्दरलाल बहुगुणा जी युवा पर्यावरण कार्यकर्ताओं के हमेशा प्रेरणा स्रोत रहेंगे।
पर्यावरण सुरक्षा और अभिवृद्धि की दिशा में निरंतर कार्य करने वाले श्री सुन्दरलाल बहुगुणा जी को भावभीनी श्रद्धाजंलि। माँ गंगा बहुगुणा परिवार को यह दुःख सहने की शक्ति और संबल प्रदान करे। ऊँ शान्ति!
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