Wednesday, July 15, 2020

योगाचार्य खुशीराम का जनहित में संदेश

योगाचार्य खुशीराम का जनहित में संदेश
 खुशीराम 
 योगाचार्य/योग शिक्षक के नाते
आज पूरे विश्व में योग एक जीवन रक्षक प्रणाली /पद्धति के रूप में अपनाकर मानव जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए अपनाया जा रहा है। आज के इस योग के महापर्व पर हमने अपने अपने घरों में रहकर परिवार के सदस्यों के साथ योग के प्रति अपने संकल्पों को योगाभ्यास करके पूर्ण किया।संचार के विभिन्न माध्यमों से प्रतीकात्मक रूप से अपने - अपने छाया चित्रों को भी एक दूसरे से साझा किए ।भारतीय संस्कृति ,ऋषि मुनियों के शोध और मनुष्य को श्रेष्ठ जीवन देनें की यह अद्भुत विधा आज संपूर्ण विश्व आत्मसात कर रहा है ऐसा महसूस करते हुए मुझे अपने राष्ट्र एवं अपनी संस्कृति पर गर्व होता है।
आज समूचा विश्व बेहद बड़े खतरे एवं संकट से गुजर रहा है एक ऐसी वैश्विक महामारी ने हम सब के जीवन पर ऐसा कुप्रभाव डाला है कि हम सब एक दूसरे से मिलने पर परहेज करके अपने अपने घरों में कैद होने को बाध्य हुए हैं। जिसमें हम आज अपने जीवन को बचाने में अथवा जीवन को सुरक्षित करने में जुटे हुए हैं।
कोरोना नामक इस महामारी से बचने के लिए ना ही हमारे पास वैक्सीन है और ना ही कोई दवा अभी तक इजात हो पाई है किंतु हमारे पास एक ऐसा यथार्थ विकल्प जरूर है जिससे हम पूर्ण रूप से स्वयं को सुरक्षित कर सकते हैं और वह है हमारे आंतरिक शक्ति का विकास जिसे हम रोग प्रतिरोधक क्षमता कहते हैं और इसको हम केवल और केवल योग के माध्यम से पूर्ण रूप से अर्जित कर सकते हैं हमें कोरोना से ज्यादा ताकतवर बनना होगा और कोरोना के साथ लड़कर कोरोना को परास्त करना होगा आज हम लोग इस योग के महापर्व पर केवल प्रतीक रूप में ही योग ना करें अपितु संकल्प लें कि हम नित्य अपने जीवन में योग को अपने नित्य कर्मों के भांति सम्मिलित करेंगे और अपने जीवन को न केवल कोरोना से बल्कि संपूर्ण आदि व्याधियों से भी सुरक्षित करेंगे।
इसके लिए हमें अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित एवं सुनिश्चित करना होगा जैसे *सूर्योदय से पूर्व उठना* *रात को देर तक ना जगना* प्रात उठकर गुनगुना पानी पीना और शौच से निवृत्त होने के पश्चात नित्य 1 घंटे परिवार के साथ *सूक्ष्म व्यायाम* , *सूर्यनमस्कार*।  *योगासन* और *प्राणायाम* को तन्मयता से करना।          दूसरा अपने खान-पान को उचित एवं दुरुस्त करना हम अपने भोजन में सदैव ताजी सब्जी ,फल,दूध ( प्राकृतिक चीजों )का ही उपभोग एवं उपयोग करें ।जंक फूड से परहेज करें ।यद्यपि हम भारतवासी पूर्वजों से प्राचीन परंपरा से उन औषधियों को अपने खाने-पीने में सम्मिलित करते रहे है जिनको आज औषधि के रूप में देखा जाता है। जैसे *हल्दी,* *अदरक* , *लॉन्ग ,* *तुलसी आदि* इनका उपयोग हम किसी न किसी रूप में नित्य करते रहे ।दूध हल्दी डालकर ही पिएं *गिलोय* अनिवार्य रूप से नित्य सेवन करें।
इस प्रकार हम इन सब बातों का अनुसरण करके हम निश्चित रूप से आज के इस भयावह माहौल में और इस वैश्विक महामारी से सुरक्षित रहने में काफी हद तक कारगर होंगे । प्रत्येक नागरिक , प्रत्येक परिवार जब सुरक्षित होगा तो हमारा देश स्वतःही सुरक्षित हो जाएगा। हमने अपने जीवन में योग को अपनाकर अंदर से इतना ताकतवर बनाना है कि योगाभ्यास से निर्मित सुरक्षा कवच को कोरोना हमारे शरीर में न घुस सके और पूरे विश्व को एक मिसाल के तौर पर भारत को स्थापित करना है कि योग से हम हर परिस्थिति स्थिति से निपट सकते हैं योग एक वह विधा है जो प्रत्येक समस्या का समाधान है इस बात को हमें सिद्ध करना है। 
 खुशीराम योगाचार्य/योग शिक्षक
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