Saturday, August 15, 2020

स्ट्रीट वेण्डर आत्मनिर्भर योजना से जिन्दगी दोबारा पटरी पर आ गई सुभाष की "सफलता की कहानी"

-उज्जैन | भैरवगढ़ निवासी 33 वर्षीय सुभाष मालवीय पिता जयराम मालवीय ने जब से होश संभाला तब से परिवार के भरण-पोषण के लिये सब्जी विक्रय करने लगे। परिवार में पिता भी यही कार्य करते थे, लेकिन समय के साथ उम्र ढलने लगी और पिछले कुछ सालों से इतना परिश्रम कर पाने में वे असमर्थ थे, इसलिये सुभाष को अपने पिता की जगह लेनी पड़ी। भैरवगढ़ में सब्जी का ठेला लगाकर वह जैसे-तैसे अपना जीवन-यापन कर रहे थे।

लेकिन बिते दिनों कोरोना महामारी के कारण उनकी आमदनी के एकमात्र जरिये पर भी मानो ग्रहण-सा लग गया था। लॉकडाउन के कारण दो से तीन महीने लगातार वे सब्जी का ठेला नहीं लगा पा रहे थे। इस वजह से उनका पूरा व्यवसाय चौपट हो गया था। उनके परिवार में माता-पिता, पत्नी और तीन बच्चे है। कुछ समय लॉकडाउन के दो महीने बाद तो स्थिति यह हो गई थी कि परिवार के सदस्यों को थोड़े में गुजारा करना पड़ता था। कई बार बच्चों को दो समय की रोटी देने पर मां-बाप को भूखे पेट सोना पड़ता था। सुभाष ऐसे समय में काफी परेशान हो गये थे। उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आगे उनके परिवार का क्या होगा, क्योंकि अनलॉक की प्रक्रिया प्रारम्भ होने के बावजूद उनके व्यवसाय की हालत इतनी बुरी हो गई थी कि दोबारा उसे पटरी पर लाना बहुत मुश्किल था।

ऐसे में प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर योजना के बारे में सुभाष को कहीं से जानकारी मिली। उन्हें लगा कि शासन की यह योजना उनके डूबते हुए व्यवसाय के लिये कश्ती साबित हो सकती है। सुभाष ने बिना देर किये नगर निगम कार्यालय में जाकर योजना की जानकारी ली। निगम द्वारा भी पूरा सहयोग करते हुए सुभाष को योजना की जानकारी दी गई तथा उनसे योजना के अन्तर्गत ऋण हेतु आवेदन प्राप्त किया गया। आवेदन करने के कुछ ही दिनों के बाद उनके खाते में 10 हजार रुपये की राशि आ गई, जिससे वे दोबारा अपने व्यवसाय को प्रारम्भ करने में सफल हो सके।

सुभाष ने बताया कि इस योजना के अन्तर्गत ऋण दिये जाने पर बैंक द्वारा उनसे कोई सिक्योरिटी नहीं ली गई। इस योजना की वजह से सुभाष की बेपटरी हुई जिन्दगी दोबारा पटरी पर न केवल आई, बल्कि अब धीरे-धीरे उसने रफ्तार भी पकड़ ली है। अब सब्जी विक्रय से सुभाष को प्रतिदिन 300 से 400 रुपये का लाभ प्राप्त हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस योजना की वजह से उन्हें किसी के आगे रुपयों के लिये हाथ नहीं फैलाने पड़े। वास्तव में यह योजना आत्मनिर्भर बनने की ओर एक सहायक के रूप में साबित हुई है। सुभाष और उनके पूरे परिवार ने मुश्किल समय में साथ देने के लिये मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया है।

No comments:

Post a Comment