Friday, August 7, 2020

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने भारत की पूर्व विदेश मंत्री, दिवंगत नेता श्रीमती सुषमा स्वराज जी को उनकी प्रथम पुन्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने भारत की पूर्व विदेश मंत्री, दिवंगत नेता श्रीमती सुषमा स्वराज जी को उनकी प्रथम पुन्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की
सुषमा जी को उनके अद्म्य साहस, ओजस्वी वाणी और सहृदयता के लिये सदा याद किया जायेगा
अदभुत संयोग है 6 अगस्त, धारा 370 पर सुषमा जी का आखिरी ट्वीट, ’’मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी’’ और पुन्यतिथि से एक दिन पहले ’’श्री राम मन्दिर’’ का शिलाविन्यास 
स्वामी चिदानन्द सरस्वती

 ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने भारत की पूर्व विदेश मंत्री और कद्दावर नेता श्रीमती सुषमा स्वराज जी की प्रथम पुन्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये कहा कि आज सुषमा जी सशरीर हमारे बीच में उपस्थित नहीं है परन्तु उनकी आत्मा, 5 अगस्त को अयोध्या में आयोजित श्री राम लला के मन्दिर का शिलाविन्यास देख कर अत्यंत गौरवान्वित महसूस कर रही होगी। यह एक अद्भुत और ऐतिहासिक संयोग है कि जब उन्होंने इस दुनिया से विदा ली उस दिन उन्होंने अपना आखिरी ट्वीट जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के विषय में बधाई देने हेतु माननीय प्रधानमंत्री जी को सम्बोधित करते हुये किया था कि ‘‘मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी।’’ और उनकी पुन्यतिथि से एक दिन पहले लगभग 500 वर्षों की कड़ी तपस्या का सुखद परिणाम श्री राम मन्दिर का शिलाविन्यास हुआ वास्तव में हम सभी के लिये अद्भुत और यादगार समय है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि सुषमा जी ने अपनी जीवन यात्रा में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुये देश को गौरवान्वित किया। वे जिस भी देश की यात्रा पर जाती थी तो वे राजनीतिक सम्बंधों के अलावा भारतीय संस्कृति की अमिट छाप छोड़कर आती थी। सभी के प्रति अद्भुत और अभूतपूर्व उनकी आत्मीयता  थी जो सहज ही मन को मोहित कर लेती थीं; दिल को छू लेती थी। सुषमा जी सचमुच देश की शान और महिला शक्ति की पहचान थी। भारत ही नहीं बल्कि विदेशी गलियारों में भी वे एक लोकप्रिय नेता, अद्भुत वक्ता और राजनीतिक शुचिता की धनी मानी जाती थीं। उन्होंने अपने उद्बोधनों से संसद को जागृत और जीवंत बनाये रखा। वे जहां गयी वहां उन्होने जीवन प्रदान किया, लोगों को जगाया जीने का रास्ता दिखाया और देशभक्ति का पाठ पढ़ाया। आज उनकी प्रथम पुन्यतिथि के अवसर पर उन्हें भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित करते है।

स्वामी जी कहा कि सुषमा जी का अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम, अपने राष्ट्र के लोगों को मदद करने हेतु हमेशा तत्पर रहने का स्वभाव वास्तव में अनुकरणीय है। विदेश मंत्री रहते हुये उन्होने कई संवेदनशील मामलों को बहुत ही सहजता से सुलझाया यह उनकी उत्कृष्ट राजनीतिक सूझबूझ का ही परिणाम था। गीता जयंती के अवसर पर कुरूक्षेत्र के मैदान में सुषमा जी से मेरी मुलाकात हुई मुलाकात थी, उस समारोह में हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी, योगगुरू स्वामी रामदेव जी और लगभग 18 हजार बच्चे थे कुरूक्षेत्र की धरती पर। उन सभी बच्चों के हाथ में भगवत गीता थी, उन सभी ने वहां पर गीता के 18 अध्याय का पाठ किया और उसके बाद आदरणीय सुषमा जी ने उस दिव्य मंच से सभी को सम्बोधित किया, अद्भुत शैली थी उनकी, उस दिन उनके शब्दों ने सभी के दिलों को छू लिया था। उन्हांेने कहा था कि ’’ आत्मा अमर है, शरीर अनित्य है और जो भी हमें मिला है, जितने पल मिले हंै, हम उसे राष्ट्र की सेवा के लिये समर्पित करें; अपने कर्मो को कुशलता से सम्पन्न करे; अपना सौ प्रतिशत अपने काम में लगा दें यही जीवन योग है। योगस्थ होकर अपने कर्मों को करने की शिक्षा उन्होंने बच्चों को दी। उनके शब्दों को सुनकर ऐसे लगा जैसे वे गीता पढ़ती ही नहीं बल्कि गीता को जीती भी हैं। गीता के प्रति उनकी निष्ठा ही थी कि वे देश की सभी समस्याओं का समाधान उसी के अनुरूप करती थीं। आज वे सशरीर हमारे साथ होती तो श्री राम मन्दिर शिलाविन्यास को देख कर कितनी प्रसन्नता व्यक्त करती।
स्वामी जी ने कहा कि धारा 370 का हटना, श्री राम मन्दिर का शिलाविन्यास ये सब वर्षों की तपस्या को साकार होते देखने जैसा है। श्रीमती सुषमा जी को भावपूर्ण श्रद्धाजंलि।

No comments:

Post a Comment